ABDUL KALAM A INSPRIRATION

Date: Thu Oct 14, 2021 07:57PM
© Uttma Gupta
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अब्दुल कलाम एक शिक्षक,एक वैज्ञानिक, राष्ट्रपति, मिसाइल मैन,और विचारक थे जिन्होंने अपने शून्य से शीर्ष तक की सफलता का सफर तय किया,

उन्होंने कड़ी मेहनत, ईमानदारी, सादगी और कर्मठता के बल पर दुनिया का दिल जीता है.उन्होने दुनिया के सामने आदर्शवादी जीवन को प्रस्तुत किया है

उनकी ऑडियो बायोग्राफी सुनकर यह महसुस हुआ कि उनके जीवन से हम काफी सारी बातें सीख सकते है और उनको अपनाकर हम भी एक बेहतर जीवन को जी सकते है -

चुनौतियों से हार न मानना - अब्दुल कलामजी के जीवन में कई सारी चुनौतियां आयी किन्तु उन्होने इन चुनौतियों से हार नहीं मानी,कॉलेज में एडमिशन के पैसे नही थे, तब उनकी बहन ने अपने सोने के गहनों को बेचकर उन पैसो से उनका एडमिशन कराया एडमिशन के बाद उन्हें प्रोजेक्ट बनाने के लिए  दिया गया उन्होंने जो प्रोजेक्ट बनाया वो उनके प्रोफ़ेसर को वह पसंद नहीं आया तब उन्होंने प्रोफेसर से एक महीने का समय माँगा तब उनके प्रोफेसर ने कहा की

तुम्हे सिर्फ़ तीन का समय मिलेगा अगर तुम तीन में तुम्हारा प्रोजेक्ट नहीं बनोगे तो तुम्हारी स्कॉलरशिप कैंसिल कर दी जाएगी तब अब्दुल कलामजी ने तीन दिन तक बिना खाए पिए बिना सोये मेहनत कर प्रोजेक्ट तैयार किया।

इसरो ज्वाइन किया तब काफ़ी सारी प्रॉब्लम आई सेंट मैरी चर्च को ऑफिस बनाया चर्च के पास्टर के घर को वर्कशॉप बनाया, गौशाला को लेबोटरी बनाया,समुद्र के किनारे पर लांचपैड बनाया बहुत मेहनत कर SLV को लांच किया किन्तु वो फ़ैल हो गया फिर दोबारा उन्होंने एक बार फिर प्रयास किया और एक साल बाद SLV को बनाने में सफ़ल रहे.

उन्होंने मिसाइल बनाई त्रिशूल,पृथ्वी मिसाइल बनाई उन्होंने अग्नि मिसाइल को बनाने का प्रयास किया काफ़ी बार असफ़ल हुए लोगों ने आलोचना करना शुरू कर दिया किन्तु फिर भी उन्होंने अपना प्रयास जारी रखा फिर वो आखरी में अग्नि मिसाइल बनाने में सफल रहे थे

समय का सदुपयोग-अब्दुल कलामजी ने समय का सदुपयोग किया बचपन में वो पेपर बेचते थे तब वो पेपर को बेचते समय पेपर पढ़ लेते थे,

वो अपनी नाव में तीर्थयात्रियों को लेकर जाते जब वो रामेशवरम में दर्शन के लिए जाते तो वो इतनी देर पढ़ाई करते थे,पेपर बेचने, पढ़ाई और सब काम करने के बाद बचा हुआ समय अपने चाचा की समुद्री सीपियों की दुकान में समय देते थे

 बड़े लक्ष्य - अब्दुल कलामजी के परिवार की आर्थिक कंडीशन बेहद कमज़ोर थी फिर भी उन्होंने बड़ा लक्ष्य               बनाया एक बार उनके टीचर ने पक्षी कैसे उड़ते है बताया जब नहीं समझ में आया तब उन्होंने लाइव उड़ते हुई पक्षियों को दिखया तभी उनका लक्ष्य उन्होंने बना लिया एरोनॉटिकल इंजीनियर बनने का और उसके लिए पूरा प्रयास किया सपनों के लिए एक बार उन्होंने कहा था “ कि सपने वो नही जो हम नींद में देखते है सपने वो है जो हमारी नींद उड़ा देते है "

अध्यात्मवादी - वो एक सच्चे अध्यात्मवादी थे वो मुसलमान थे किंतु शाकाहारी थे वो कुरान के साथ ही गीता का भी अध्ययन करते थे वो सभी धर्मो का सम्मान करते थे

सच्चे देशभक्त - अब्दुल कलामजी ने इसरो ज्वाइन किया तब उन्हें नासा ट्रेनिंग के लिए भेजा गया  था तब नासा में उनकी क़ाबिलियत को देखकर उन्होंने कहा कि हम तुम्हें अमेरिका सिटीजन देते है  भारत की तुलना में पांच गुना ज्यादा आमदनी देंगे किन्तु उन्होंने अपने देश के लिए इन सभी सुविधाओं को छोड़कर देशसेवा की। उन्होंने देश के लिए परमाणु परीक्षण को इतनी चालाकी से किया की किसी अन्य देश को भनक भी नही लगने दी। वो राष्ट्रपति थे उनके परिवार वाले वहाँ आये तब उनके ऊपर जो पैसा खर्च हुआ उसका पेमेंट उन्होंने खुद दिया उन्होंने कहा कि राष्टपति भवन राष्ट्रपति के लिए है उनके परिवार के लिए नही है

कड़ी मेहनत - अब्दुल कलामजी बहुत मेहनती थे वो हमेशा सक्रिय रहते थे उन्होंने इसरो ज्वाइन किया तब उन्होंने दस साल कड़ी मेहनत की वहां कोई निवेश नही था तब उन्होंने SLV 3 को बनाने के लिए उस समय में उन्होंने सिर्फ़ दो बार छुट्टी ली एक बार जब उनके पिता का देहांत हुआ और एक बार जब उनकी माता का देहांत हुआ तब रोज 18 घंटे काम किया उन्होंने अपने देश को मिसाइल के मामले में छटवे स्थान पर ले आये, उनको 70 साल की उम्र में YOUTH ICONE का अवॉर्ड मिला 83 साल की उम्र में भी आखरी समय में भी विद्यार्थी को स्पीच देते हुए हमेशा के लिए शांत हो गए।

और इस तरह से अब्दुल कलामजी ने एक आदर्श जीवन जिया उनके व्यक्तित्व को परिभाषित करना असम्भव है उनके गुणों को बयान करने के लिए हर शब्द बौना है वो सभी के लिए प्रेरणा थे विशेषकर विद्यार्थी जीवन में उनके गुणों को अपनाकर जीवन को सार्थक रूप दे सकते है उनके जीवन से जो मैने सीखा वो मै इस आर्टिकल के माध्यम से सभी को शेयर किया है हालांकि वो काफ़ी कम है क्योंकि अब्दुल क्लमजी का व्यक्तित्व इतना अलौकिक, अद्वितीय, असाधरण है .

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