हर वय को लुभाती हैं कहानियां : प्रो मुकेश पाण्डेय
बुविवि में रही बुकवाला कहानी उत्सव की धूम
झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुकेश पाण्डेय ने कहा कि उम्र के हर पड़ाव पर हर वय को कहानियां लुभाती हैं। कहानियां हमारी कल्पनाशीलता को नया आयाम देती हैं। कहानियां हमें अपनी संस्कृति से जोड़ती हैं। यह मनुष्य की बौद्धिक और तार्किक क्षमता का विस्तार करती हैं।
वे बुकवाला संस्था के स्थापना दिवस पर गांधी सभागार में आयोजित कहानी उत्सव के उद्घाटन सत्र में जुटे लोगों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस सृष्टि में जीव के पैदा होते ही कहानी की गूंज सुनाई देने लगती है। हर व्यक्ति अपने परिवार में कहानी से रु ब रु होता है। उन्होंने पंचतंत्र की कहानियों का उल्लेख कर उनकी महत्ता समझाई। प्रो पाण्डेय ने कहानियों की विशिष्टताओं को भी रेखांकित किया।
प्रो पाण्डेय ने कहा कि हर लेखक की सफलता के पीछे एक महिला का हाथ होता है। उन्होंने प्रख्यात लेखक और आईएएस अधिकारी तरुण भटनागर की सफलता के पीछे उनकी पत्नी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
सिफ्सा के मंडलीय अधिकारी आनंद चौबे ने कहा कि कहानी का इतिहास बहुत समृद्ध है। उन्होंने कछुआ और खरगोश की कहानी का उदाहरण देते कहा कि ये जीवन में रूपांतरण का संदेश देती हैं। हर कहानीकार भावी पीढ़ी में रूपांतरण की कामना करता है। कहानियां जीवन की विविध समस्याओं का समाधान देती हैं। बुकवाला के संस्थापक अनमोल दुबे ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
इस कार्यक्रम में ही प्रख्यात लेखक और आईएएस अधिकारी तरुण भटनागर की एक पुस्तक का विमोचन कुलपति प्रो मुकेश पाण्डेय ने किया। टीम बुकवाला ने कुलपति प्रो पाण्डेय को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
इस मौके पर विद्यार्थियों के एक समूह ने भावपूर्ण गणेश वंदना और वीरांगना लक्ष्मीबाई के जीवन चरित्र पर एक लघु नाटिका भी पेश की। इसे दर्शकों ने खूब सराहा।
इस कार्यक्रम में कला संकाय अधिष्ठाता प्रो मुन्ना तिवारी, प्रो पुनीत बिसारिया, डा श्रीहरि त्रिपाठी, डा जय सिंह, डा कौशल त्रिपाठी, डा मुहम्मद नईम,उमेश शुक्ल, डा नवीन चंद्र पटेल. चंद्र प्रताप सिंह, धर्मेन्द्र कुमार कुशवाहा समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।
बदलते परिवेश में कहानी विषय पर आयोजित सत्र में कहानीकार तरुण भटनागर ने एक सवाल पर कहा कि पारिवारिक माहौल में साहित्य के प्रति रुझान के कारण कहानी के प्रति उनका झुकाव पैदा हुआ। एक सवाल पर कहा कि शुरुआत में छोटी छोटी कहानियां लिखीं। पिछले 15 साल से लगातार रचनाकर्म में सक्रिय हैं। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि कहानियां हर जगह बिखरी पड़ी हैं। लेखक उनको शब्दों में संजोता भर है। समय के साथ अच्छी कहानियों की मांग बढ़ी है। अच्छी दुनिया और अच्छे विचारों की पक्षधर कहानियां ही लोकप्रियता हासिल करती हैं। युद्ध,गरीबी,विभाजन की त्रासदी और आदिवासी समाज के दुरुह जीवन के बारे में भी काफी कुछ लिखा गया है। आयुष श्रीवास्तव ने मंच पर उनसे लंबी बातचीत की।