रूठना खफ़ा रहना, ये वफ़ा नहीं होती चाहतों में लोगो से क्या खता नहीं होती ?
सबको एक जैसा क्यूँ समझने लगते हो ? क्यूँ कि सारी दुनिया तो बेवफा नहीं होती
हर किसी से यारी हर किसी से वायदे प्यार करने वालों में ये अदा नहीं होती
बेनकाब चेहरे भी एक हिज़ाब रखते हैं सिर्फ सात परदों में तो हया नहीं होती
सब कुछ खो दिया उसके प्यार में हमने क्या ये भी चाहत की इन्तेहा नहीं होती ?